Monday, 24 December 2012

जनकल्याणकारी संस्थाओं की आवश्यकता


महाराजा अग्रसेन ने समाजवाद और भाईचारा का अनूठा प्रयोग किया था। एक रुपया एक ईंट के अग्रोहा प्रयोग जैसा उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलता। उनके वंशजों ने भी दानवीरता और सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए जगह-जगह स्कूल, काॅलेज, धर्मशाला, अस्पताल, गौशाला, पनशाला, कुंआ, तालाब, मंदिर इत्यादि का निर्माण किया। आज भी महाराजा अग्रसेन के वंशजों द्वारा स्थापित ऐसी जनकल्याणकारी संस्थाएं देश भर में सक्रिय हैं।
आज के दौर में ऐसी जनकल्याणकारी संस्थाओं के निर्माण की गति तेज करने की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश इस दिशा में अपेक्षित गति नहीं आ रही है। यहां तक कि ऐसे कार्यों में कई बार अरुचि भी देखने को मिलती है। इसके कई कारण हैं। जैसे- स्कूल और गौशाला जैसी संस्थाओं में सरकारी हस्तक्षेप, कतिपय लोगों द्वारा ऐसी संस्थाओं का व्यक्तिगत स्वार्थ में अधिग्रहण कर लेना, संस्थाओं की परिसंपत्तियों पर किरायेदारों या अन्य लोगों का अवैध दखल, संस्थाओं की कमेटियों के विवाद इत्यादि।
आज हमें ऐसी संस्थाओं और अधिसंरचना का देश भर में निर्माण करने का अभियान चलाना चाहिए। इसके लिए प्रेरणा और परामर्श के अभाव में यह काम नहीं हो पा रहा। नतीजा यह है कि सामाजिक भागीदारी निभाने की आकांक्षा रखने वाले लोग बेहद तात्कालिक एवं क्षणभंगुर चीजों में अपनी उर्जा और संसाधन का उपयोग कर रहे हैं। 
अग्रसेन फाउंडेसन का उद्देश्य ऐसी संस्थाओं और अधिसंरचना का निर्माण करने हेतु समुचित प्रेरणा और परामर्श का मंच तैयार करना है। 
इसके माध्यम से ऐसी संस्थाओं और अधिसंरचना का निर्माण करने के प्रयास किये जायेंगे-
स्कूल, खास तौर पर सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त बारहवीं कक्षा तक के स्कूलों की स्थापना, ताकि बच्चों को बेहतर एवं कारगर शिक्षा दी जा सके
अन्य शिक्षण केंद्र, जैसे कोलेज, तकनीकी एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र, अध्ययन केंद्र, शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी संबंधी केंद्र
अग्रसेन भवन (सामुदायिक भवन) की स्थापना 
गौशाला का निर्माण करना और सरकारी योजनाओं के तहत दूध डेयरी की स्थापना में मदद करना
अस्पताल एवं चिकित्सा केंद्र, एंबुलेंस, चिकित्सा शिविर, स्वास्थ्य जागरूकता शिविर, सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने संबंधी प्रयास
सामाजिक चेतना, कानूनी जागरूकता एवं शोध केंद्र, खास कर सूचना का अधिकार एवं पंचायती राज सबंधी प्रशिक्षण

ऐसी संस्थाओं और अधिसंरचनाओं का इस प्रकार होगा-
1. स्ववित्त पोषित - जो किसी एक व्यक्ति या छोटे समूह के संसाधनों पर आधारित हो।
2. सामाजिक वित पोषित - जो समाज से आर्थिक सहयोग पर आधारित हो।
3. सीएसआर केंद्रित - कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत किसी कंपनी के सहयोग पर आधारित।
ऐसे संस्थानों की स्थापना के संबंध में सुझावों/प्रस्तावों का स्वागत है।


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